"Waqf Amendment Bill" - वक्फ संपत्तियों का भविष्य: मोदी सरकार का संशोधन विधेयक और मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया ?
वक्फ बोर्ड कानून से जुड़े संशोधन विधेयक पर सर्वदलीय संसदीय समिति में चर्चा के बाद आखिरकार यह बिल संसद में 2 अप्रैल 2025 को लाया गया। सबसे पहली बार इसे संसद के सदन लोकसभा में 8 अगस्त 2024 को लाया गया था। राजनीतिक दलों में इसको लेकर तीखी बहस छिड़ी हुई है, इस बीच यहां पर जानिए वक्फ शब्द और इस बिल से जुड़े कुछ बेसिक सवाल और उनके जवाब।
वक्फ शब्द का मतलब क्या है?
वक्फ अरबी शब्द है, जिसका अर्थ होता है "दान" या "दान की हुई संपत्ति।" यह उन संपत्तियों को कहा जाता है जो किसी धार्मिक या सामाजिक उद्देश्य के लिए स्थायी रूप से दान की जाती हैं। वक्फ संपत्तियां आमतौर पर मस्जिदों, मदरसों, अस्पतालों, और अन्य धार्मिक या समाज कल्याण संस्थाओं के लिए होती हैं। इन संपत्तियों का उपयोग आमतौर पर लाभकारी कार्यों के लिए किया जाता है, और यह संपत्तियां कभी भी निजी स्वामित्व में नहीं जातीं।
वक्फ संशोधन बिल क्या है?
मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड में बदलावों के लिए दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए हैं:
- वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024
- मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024
इन विधेयकों को 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में पेश किया गया था, और अब इन्हें संसद के दोनों सदनों में विचारार्थ लाया गया है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का मुख्य उद्देश्य मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 और वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाने, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए लाया गया है। इसके तहत वक्फ संपत्तियों की सही निगरानी, रिकॉर्ड कीपिंग और उनके दुरुपयोग को रोकने के लिए कई नए प्रावधान किए गए हैं।
विधेयक में किए गए प्रमुख बदलाव:
- संपत्ति प्रबंधन में सुधार: वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड को डिजिटल रूप में रखने का प्रावधान है, जिससे संपत्ति के दुरुपयोग और कब्जे की समस्याओं को हल किया जा सके।
- नए कानूनी प्रावधान: वक्फ संपत्तियों की अवैध बिक्री या हस्तांतरण के खिलाफ कड़े कानूनी प्रावधान होंगे। उल्लंघन करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: वक्फ संपत्तियों के आय और खर्चों पर पारदर्शिता लाने के लिए नई वित्तीय रिपोर्टिंग व्यवस्था लागू की जाएगी।
- स्थानीय समुदायों का सशक्तिकरण: वक्फ संपत्तियों से संबंधित निर्णयों में स्थानीय समुदायों की भागीदारी बढ़ाई जाएगी, ताकि इन संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित हो सके।
मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024
इस विधेयक का उद्देश्य कुछ पुराने और अप्रचलित नियमों को हटाना है, जो अब वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए उपयुक्त नहीं हैं। इस विधेयक के तहत उन वक्फ संपत्तियों को पुनः संरचित किया जाएगा, जिनका प्रशासन पहले सही तरीके से नहीं किया जा रहा था।
मुस्लिम समुदाय का विरोध
हालांकि सरकार इस विधेयक को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार और पारदर्शिता लाने के एक सकारात्मक कदम के रूप में देख रही है, मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों ने इस विधेयक का विरोध किया है।
विरोध करने वालों का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के नियंत्रण और प्रबंधन में सरकार की अधिक भागीदारी को बढ़ाएगा, जो उनके धार्मिक अधिकारों और स्वायत्तता पर सवाल उठाता है। उनका मानना है कि इससे वक्फ बोर्ड और उसके प्रतिनिधियों की स्वायत्तता कम हो जाएगी और सरकार के हस्तक्षेप से वक्फ संपत्तियों के सही तरीके से उपयोग में रुकावट आ सकती है।
विधेयक पर राजनीतिक प्रतिक्रिया
वक्फ बोर्ड बिल को लेकर राजनीतिक दलों में तीखी बहस देखने को मिल रही है। कुछ दल इसे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ दलों का कहना है कि इससे वक्फ संपत्तियों के अधिकारों पर खतरा हो सकता है।
कांग्रेस सांसद और कवि इमरान प्रतापगढ़ी ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के खिलाफ संसद में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने काले वस्त्र पहनकर संसद में प्रवेश किया और हाथ में 'Reject Waqf Bill' (वक्फ बिल को अस्वीकार करें) लिखा हुआ तख्ती पकड़ी, जिससे उनकी इस विधेयक के प्रति विरोधाभासी भावना स्पष्ट हुई।
अगले कदम
विधेयक अब राज्यसभा में विचारार्थ जाएगा, और उम्मीद की जा रही है कि इसे जल्द ही पारित किया जाएगा। यदि यह विधेयक पास हो जाता है, तो यह वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उनके उपयोग के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा, जिससे लाखों मुसलमानों और समाज के अन्य वर्गों को लाभ होगा।
देखें: वक्फ बोर्ड विधेयक पर इमरान प्रतापगढ़ी का विरोध प्रदर्शन
इस वीडियो में इमरान प्रतापगढ़ी संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराते हुए दिखाई दे रहे हैं। वह अल्पसंख्यक अधिकारों के हनन का मुद्दा उठाते हैं और सरकार से बिल को वापस लेने की मांग करते हैं।
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